"TRIMURTI"

21/03/2013 07:57

त्रिगुणात्मक् त्रिमुर्ति दत्त हा जाणा त्रिगुणि अवतार त्रैलॊक्यराणा
नेति नेति शब्द न यॆ अनुमानासुर्वर् मुनिजन् यॊगि समाधि न यॆ ध्यान

जय देव जय देव जय गुरुदत्ता आरति ओवाळिता हरली भवचिन्ता जय देव जय देव

सबाह्य अभ्यन्तरी तू एक दत्त अभाग्यासी कैसी नकळे ही मात
पराही परतली कैसा हा हेत जन्म मरणाचा पुरलासे अंत

जय देव जय देव जय गुरुदत्ता आरति ओवाळिता हरली भवचिन्ता जय देव जय देव

दत्त येओनिया उभा ठाकलासद्भावे साष्टंगे प्रणिपात केला
प्रसन्न होउनीया अशिर्वाद दिधला जन्ममरणाचा फेरा चुकवीला


जय देव जय देव जय गुरुदत्ता आरति ओवाळिता हरली भवचिन्ता जय देव जय देव

दत्त दत्त ऐसे लागले ध्यान हरपले मन झाले उन्मन
मीतु पणाची झाली बोळ्वण एका जनार्दनी श्री दत्त ध्यान

जय देव जय देव जय गुरुदत्ता श्री गुरुदत्ता , आरति ओवाळिता हरली भवचिन्ता जय देव जय देव